UP News: गांवों के बच्चों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्पेस और रिसर्च में उनका रुझान पैदा करने के लिए उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के एक सरकारी स्कूल में अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाई गई है। बॉलीवुड फिल्म “मिशन मंगल” से प्रेरित होकर, गांव के प्रधान ने इसरो के ‘स्पेस ट्यूटर प्रोग्राम’ के तहत प्रयोगशाला बनाने का फैसला लिया था।
ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी ने कहा कि “मैं मिशन मंगल पिक्चर देखने के लिए गया हुआ था, तो वहां से हमें प्रेरणा मिली कि देश में किस तरीके से साइंटिस्ट की कमी है आज के डेट में स्पेस एजुकेशन के लिए ज्यादातर अवेयरनेस नहीं है। लोग इसके बारे में जानते नहीं हैं। वहीं मैंने सबसे पहले निर्णय लिया कि मैं अपने गांव में प्राइमरी स्कूल में इस लैब की स्थापना कराऊंगा जिसके माध्यम से हमारे गांव और गांव के साथ-साथ पूरे जिले के बच्चों को स्पेस एजुकेशन का लाभ मिले।”
स्कूल के छात्र-छात्राओं का कहना है कि उन्हें कैरियर बनाने का अच्छा मौका मिला है। उनमें से कई भविष्य में वैज्ञानिक बनने चाहते हैं। छात्रों का कहना है कि इस लैब का जो हमारे गांव में लगा है हमारे स्कूल में ये हमारे पढ़ाई में बहुत महत्व है। और गांव में यही बताया जाता है कि टीचर, डॉक्टर, इंजीनियर यही सब बन सकते हैं। लेकिन यह लैब जब से लगा है कि तब से पता चला कि हम साइंटिस्ट भी बन सकते हैं, सैटेलाइट के बारे में थ्रीडी प्रिंटर और इसी सब चीजों को हमने सीखा और यहां पर एक पेपर हुआ उसमें हम पास हुए। फिर वहां पर हमको इसरो अहमदाबाद जाने का मौका मिला, वहां पर हम गए और तीनों लैब में गए घूमें। पहले तो हम साइंटिस्टों के बारे में जानते भी नहीं थे जहां तक ये भी नहीं जानते थे कि फीमेल साइंटिस्ट भी होती है, वहां पर हम गए तो फीमेल साइटिस्टों से मिले और हमको बहुत अच्छा लगा।
स्कूल अथॉरिटी के मुताबिक प्रयोगशाला समय-समय पर क्विज आयोजित करती है। जीतने वालों को विज्ञान महोत्सव में हिस्सा लेने और देश भर में मौजूद इसरो सेंटरों का दौरा कराया जाता है।